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देश भर में गायों को लेकर चल रहे विवाद के बीच देश की कुछ हाईकोर्ट्स ने भी इस पर फैसला किया है । ताजा फैसला 31 मई को राजस्थान हाईकोर्ट का आया है जिसमें
जस्टिस महेशचंद्र शर्मा ने अपने फैसले में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार से अनुशंसा की है ।





जस्टिस महेशचंद्र शर्मा ने अपने आदेश में लिखते हैं- “ गायों, बछड़ों के संबंध में यह
देखते हुए कि वह एक जीवित प्राणी है, निरीह है, हिन्दुओं की गाय में गहरी आस्था है, तथा इस बिन्दु को मद्देनजर रखते हुए कि नेपाल एक हिन्दूवादी राष्ट्र है और उनके नवीन संविधान द्वारा गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया है । साथ ही भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है और राष्ट्र की जीविका का प्रमुख साधन कृषि एवं पशुपालन है । साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 एवं 51(ए)( g) को ध्यान में रखते हुए गायों को विधिक अस्तित्व दिलाने के लिए, उनके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कराने के लिए विधिक संरक्षक (Person in Loco Parentis ) नियुक्त करे। ये अधिकारीगण गायों की उचित देखभाल, उनके संरक्षण, संवर्धन, विधिक अस्तित्व दिलाने व राष्ट्रीय पशु घोषित कराने के लिए कदम उठायेंगे । ”




जस्टिस महेशचंद्र शर्मा अपने फैसले में आगे लिखते हैं कि , “महाधिवक्ता राजस्थान व मुख्य सचिव राजस्थान गायों के हित, संरक्षण व विधिक अस्तित्व दिलाने व राष्ट्रीय पशु घोषित कराने के लिए संबंधित समस्त विधिक कार्यवाहियों में राज्य सरकार की ओर से अपना समुचित पक्ष प्रस्तुत करेंगे और वे केंद्र सरकार के संबंधित विभागों से संपर्क स्थापित करने के पश्चात न्यायालय की भावना से उनको अवगत कराते हुए इस हेतु उचित कदम उठायेंगे ताकि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कराया जा सके । ”



जज महोदय ने अपने फैसले में साफ लिखा है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कराने के लिये यदि कोई व्यक्ति, संस्था चाहे तो वह जनहित याचिका प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र होगी। जस्टिस शर्मा अपने फैसले में लिखते हैं कि विज्ञान की दृष्टि में भी गौवंश का अत्यधिक महत्व है । कृषि वैज्ञानिक डॉ. जूलियस एवं डॉ. बुक जर्मन ने कहा है कि विश्व में केवल गौवंश ही ऐसा दिव्य जीव है जो अपनी श्वास में ऑक्सीजन छोड़ता है । जर्मन वैज्ञानिक रुडल स्टेनर के अनुसार गाय को अपने सींग के माध्यम से कॉस्मिक शक्ति ग्रहण करती है।



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राजस्थान हाईकोर्ट के उपरोक्त फैसले के ठीक एक दिन पहले मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार के हालिया प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स ( रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट) रुल्स , 2017 पर चार हफ्ते का स्टे लगा दिया । केंद्र का यह कानून पूरे देश में जानवरों को कत्लगाह के लिए बेचने पर रोक लगाता है । इस कानून में केवल किसानों को ही जानवरों के व्यापार की इजाजत दी गई है। जानवरों को बेचते समय किसानों को खरीददार से ये अंडरटेकिंग लेना होगा कि वे जानवरों का उपयोग कत्लगाह के लिए नहीं करेंगे बल्कि केवल खेती के लिए करेंगे।

मदुरै बेंच से अलग राय रखते हुए केरल हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूथ कांग्रेस की केंद्र सरकार के नए नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि कत्लागाह के लिए जानवरों का व्यापार जानवरों के बाजार के बाहर भी किया जा सकता है । हालांकि हाईकोर्ट ने ये नहीं बताया कि केंद्र ने अपने नए कानून में इसका जिक्र क्यों नहीं किया है । आपको बता दें कि केरल हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के सामने एक ऐसी ही दो याचिकाएं दायर की गई है जिस पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है । एक याचिकाकर्ता केरल के विधायक हैं जो कल्लूर और कोच्चि जिले में मांस का व्यापार करते हैं। दूसरे कोझिकोड डिस्ट्रिक्ट मीट वर्कर्स एसोसिएशन ने दायर की है और केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की है ।



इन फैसलों से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक मीट कारोबारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि खाने-पीने की आदतें और पसंद, नापसंद व्यक्ति के मौलिक अधिकार से जुड़ी हुई हैं और उन पर सरकार रोक नहीं लगा सकती । जस्टिस एपी शाही और संजय हरकौली की बेंच ने एक मीट कारोबारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि- संविधान का 21वां अनुच्छेद लोगों के जीवन के अधिकार के तहत खाने-पीने की स्वतंत्रता देता है। इसलिए इस पर रोक लगाना सही नहीं है। अवैध बूचड़खाने के खिलाफ कार्रवाई का असर मांसाहार बेचने वालों पर भी
हुआ। कारोबारी ने दुकान के लाइसेंस को भी रीन्यू करने की अपील की है। अगर मांसाहार बिक्री का लाइसेंस नहीं है तो इन्हें लाइसेंस तत्काल लेने में भी सरकार मदद करेगी, ताकि उपभोक्ताओं को खाद्य सामग्री मुहैया करवाई जा सके।

आइए हम जानते हैं कि संविधान की जिस धारा के तहत केंद्र सरकार ने जानवरों के कत्लगाह ले जाने पर रोक लगाने का नोटिफिकेशन जारी किया है वो क्या कहता है । संविधान की धारा 48 में यह कहा गया है कि राज्य सरकारें कृषि और पशुपालन के विकास के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके अपनाएगी और पशुओं की नस्ल सुधारने, संरक्षित करने और गायों, बछड़ों और दूसरे दुधारु पशुओं के कत्ल पर रोक लगाएगी।

राजस्थान हाईकोर्ट के हालिया फैसले में भी संविधान की इसी धारा का हवाला दिया गया है । लेकिन इस धारा की अलग-अलग कोर्ट की अलग-अलग व्याख्या है । जरुरत है इस भ्रम को दूर करने की । 

Comments ( 1 )

  • ??????? ?????

    अति उत्तम।

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