Saturday, February 23, 2019 | ![]() |

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रघोत्तम शुक्ल लेखक,कवि व पूर्व प्रशासनिक अधिकारी |
अन्य उपयोगी लिंक- http://vishwahindisammelan.gov.in/
आचार्य महावीर प्रसाद ने तो अन्य भाषा सेवियों को कृतघ्न ठहराया है।वे कहते हैं कि जो अपनी मॉ को दीनावस्था में छोड़कर अन्य की सेवकाई में लीन है,उसका प्रायश्चित असाध्य है। हमें आत्मनिरीक्षण,गहन चिन्तन करते हुए अपनी भाषा की भावव्यञ्जकता बढ़ानी होगी।क्लिष्टता को सरलता और"प्रसाद"गुण की ओर उन्मुख करते हुए,ग्राह्यता और समायोजनशीलता(Adaptability)को आत्मसात् करना होगा।हिन्दी साहित्य जगत में तो"अप्रयुक्तत्व"एक दोष माना गया है।अर्थात् दैनिक बोलचाल में सामान्यतया न प्रयुक्त होने वाले शब्द स्तेमाल करना;जैसे (फाउण्टेन)पेन के "उत्स लेखनी,"भैंसा को "लुलाप",वाण को "आसुसू"आदि। डा.पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल ने ऐसे प्रयोगों पर कटाक्ष किया है।विद्यावों के नए क्षेत्रों के सृजन और उद्भव के साथ कदम मिलाकर चलना होगा।हम कट्टरता के समर्थक तो नहीं किन्तु भाषाई "संकरत्व" के विरोधी हैं।जरा देखिये;लेखन से लेकर टंकण और कम्प्यटूर आदि से हिन्दी के अंक गायब हैं।आलेख हिन्दी का हो तब भी अंक अंग्रेजी के प्रचलित हैं ।
लेखक का ब्लॉग भी पढ़ें , इस लिंक पर - http://raghottamshuklakikalam.blogspot.in/
हिन्दी की मॉ "संस्कृत"है,जिसे सीखने के लिये विलियम जोन्स को कितने पापड़ बेलने पड़े थे;कथानक प्रसिद्ध है। स्व.राष्ट्रपति कलाम साहब जब यूनान की यात्रा पर गये थे तो वहॉ के राष्ट्राध्यक्ष ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत संस्कृत वाक्य से किया " राष्ट्रपति महाभाग: ! सुस्वागतम् यवनदेशे " । और हम हैं कि किसी वाक्य को साथी को स्पष्ट करने के लिये उसकी अंग्रेजी करके समझाते हैं।अंग्रेजी पढ़ा अब भी समाज में उच्च स्तरीय और अभिजात्य समझा जाता है।
भारत की महत्ता विश्व में बढ़ने के साथ साथ यदि हम अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान को बनाए रक्खें तो हिन्दी को विश्व भाषा बनने में कोई अड़चन नहीं दिखती है।संयुक्त राष्ट्रसंघ की सामान्य सभा में अटल विहारी बाजपेयी की वाणी जब हिन्दी में गूञ्जी थी तो विश्व की दृष्टि का केन्द्र यह भाषा बनी थी। मानस भवन में आर्यजन जिनकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूञ्जे हमारी भारती ।। हो भद्रभावाद्भाविनी वह भारती हे भगवते। सीतापते! सीतापते!! गीतामते! गीतामते!! जय भारत!जय मॉ हिन्दी !
हिन्दी दिवस जैसे आयोजन हिन्दी भाषा की समृद्धि और तरक्की के लिए क्या उपयोगी साबित होते हैं ? |
बहुत सुंदर आलेख ......लेखक को बधाई.....