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पॉन्डिचेरी पहुंचने से पहले ही सागर का असीमित विस्तार आपको कुछ पल रुकने के लिए ललचाता है। चेन्नई से जब आप ECR यानी ईस्ट कोस्टल रोड के ज़रिए आएंगे तो शहर के कोलाहल से काफ़ी पहले समंदर की गर्जना आपकी अगवानी करेगी। दूर से शांत लेकिन  नज़दीक से रौद्र ।


 

सागर की पुकार सुनकर अगर रुके तो पल दो पल में बात नहीं बनती। फिर तो सागर की पगलाई लहरें आपका पूरा ध्यान अपने साथ ले जाती हैं और आपके वजूद को अपनी लहरों के साथ उठा उठाकर पटकती हैं।



समंदर किनारे की सुनहरी रेत पर मछुआरों के सुनहरे सपने और थोड़ी दूरी पर ताड़ के पेड़ों का झुंड। इस बीच का सन्नाटा देखकर हैरान होने की ज़रूरत नहीं। पॉन्डिचेरी जगह ही ऐसी है जहां हो हल्ला मचाने वाली भीड़ नहीं जाती। वे जाते हैं जिन्हें कुदरत की गहराई में उतरना होता है। जिन्हें कुछ नया देखना समझना होता है।



यह भी अद्भुत है।  नीले समंदर से चंद कदमों के फ़ासले पर लाल पानी वाला तालाब।  उत्तर भारत से जाने वाले किसी भी सैलानी की आंखें ठहर जाएंगी। वैसे भी रंग और ढंग के पैमाने पर प्रकृति से बड़ा चित्रकार भला और कौन है।




जब चित्रों की भाषा में पॉन्डिचेरी का ज़िक्र आएगा तब इस जगह की तस्वीर ज़रूर दिखाई जाएगी। ये पॉन्डिचेरी शहर का मुख्य बीच है, गांधी बीच।  समंदर थोड़ा गहराई में शुरू होता है। काले पत्थरों वाले बीच पर लगी है महात्मा गांधी की भव्य प्रतिमा।





प्रेम के पुजारी कहां नहीं मिलते। इन महाशय के प्यार में कितनी आग है सोचिए ज़रा।  काली चट्टान पर पेंट से तैयार किया गया है ये सुपरहिट प्रेम प्रतीक। वैसे महोदय ने ये नहीं बताया है कि उनके प्रेम का तीर किसके हृदय में चुभना चाहता है।




समंदर किनारे शैतान देखिए। ये गंदगी का शैतान है। ये शैतान हम लोगों के साथ ही, हमारे दिलों में रहता है। पॉन्डिचेरी के कलाकारों ने इस शैतान को समंदर के किनारे खड़ा कर दिया है ताकि हमारे भीतर का गंदगी वाला शैतान इसे देखकर सहम उठे और कूड़ा कचरा फैलाने से हमे रोक दे।





पॉन्डिचेरी का पुराना इलाक़ा आज भी भारत का हिस्सा नहीं लगता। फ्रांसीसियों की अच्छी ख़ासी आबादी आज भी यहां रहती है। इसीलिए इस इलाके को फ्रेंच कॉलोनी कहा जाता है।

अन्य उपयोगी लिंक - http://tourism.pondicherry.gov.in/




ये समंदर से सटा हुआ पुराना पॉन्डिचेरी है। ज़्यादातर इमारतें सफ़ेद या ग्रे रंग में रंगी हुई हैं। सुबह और शाम के वक़्त यहां टहलने के लिए सैलानी तो आते ही हैं, स्थानीय लोग भी सागर की ओर से आने वाली भीगी हवाओं के मुरीद होते हैं।



सफ़ेद और ग्रे रंग की इमारतों के बीच कुछ अलग रंग के मकान भी यहां दिख जाते हैं। रंग चाहे फ़र्क़ हो लेकिन फ्रांसीसी स्थापत्य कला का पैटर्न यहां की हर इमारत में देखा जा सकता है। जितनी देर आप इस हिस्से में होते हैं, आप सोच सकते हैं कि आप फ्रांस में हैं।




कोई अतिक्रमण नहीं। कोई ठेला खोमचा नहीं। सड़क बिलकुल साफ़ और सड़क के दोनों तरफ़ फ्रेंच आर्किटेक्चर वाले घरों की कतार। पॉन्डिचेरी का ये हिस्सा ज़्यादा बड़ा नहीं है। सुबह या शाम की सैर पर निकलें तो घंटे दो घंटे में पूरा इलाका देखा जा सकता है।




पॉन्डिचेरी के हर हिस्से में आपको साफ़ सफ़ाई नज़र आएगी। ये हाट-बाज़ार वाला इलाक़ा है लेकिन ज़रा देखिए कहीं कूड़ा-कचरा नज़र आ रहा है आपको ? इसीलिए पॉन्डिचेरी सिर्फ़ घूमने की नहीं बल्कि महसूस करने की जगह है।




ये पॉन्डिचेरी का प्रमुख चर्च है।  इस तरफ़ से गुज़रने वाले का ध्यान बरबस ही इस ओर खिंचा चला आता है। बेहद चटख रंगों में रंगा ये शानदार चर्च किसी पूजास्थल से ज़्यादा एक दर्शनीय स्थल लगता है।




बैक वॉटर्स... समंदर का वो हिस्सा जो उलटी धारा की शक्ल में शहर के भीतर घुस आया है। हरे भरे पेड़ों और नारियल के झुरमुट के बीच फैली समुद्री पानी की ये झील उस ख़ूबसूरत जगह तक जाने का रास्ता जिसे गोल्डन बीच कहते हैं।



गोल्डन बीच तक आपको ले जाने के लिए ये रही मोटर बोट्स। टिकट लीजिए और सवार हो जाइए इन नावों पर। चाहें तो 2 सीटर या 4 सीटर भी ले सकते हैं लेकिन झुंड में सफ़र करने का अपना ही आनंद है। सस्ता, सुंदर और टिकाऊ है कि नहीं।



अन्य उपयोगी लिंक -http://www.pondytourism.in/#
 

किनारे को छोड़ते हुए तेज़ी से आगे की ओर बढ़ना... मंज़िल को तेज़ी से क़रीब आते देखना... पॉन्डिचेरी के गोल्डन बीच का सफ़र चंद मिनटों में ही पूरा हो जाता है मग़र उतनी सी देर में एक छोटी समुद्र यात्रा का लुत्फ़ ना मिल जाए तो कहिएगा।




गोल्डन बीच पर आपका स्वागत है। पॉन्डिचेरी के बाशिंदों के लिए हो सकता है ये जगह ख़ास अहमियत नहीं रखती हो लेकिन बाहर से आने वालों के लिए गोल्डन बीच आना निहायत ज़रूरी है।




आपने बीच बहुतेरे देखे होंगे लेकिन अगर पॉन्डिचेरी का गोल्डन बीच नहीं देखा तो क्या देखा। दूर तर फैली रेत और उस पर नारियल के पेड़ों का झुरमुट। धूप तीखी लग रही हो तो यहां छांव में मज़े से बैठने के लिए जगह जगह फूस की झोपड़ियां भी मौजूद हैं।




गोल्डन बीच के किनारों से टकराने वाली समुद्री लहरें हरगिज़ अलग नहीं हैं, अलग है तो बस यहां का वातावरण। सुंदर, सुरम्य और शांत। यहां की नीरवता टूटती है तो सिर्फ़ समंदर की गर्जना से । 




समंदर के बिलकुल किनारे बैठना... लहरों की आवाजाही और तेज़ हवाओं को महसूस करना... वाकई, यहां आकर थोड़ी देर के लिए ही सही आप ज़िंदगी की तमाम दुश्वारियों को भूल जाएंगे।




बीच पर कुआं। चारों तरफ़ समंदर का खारा पानी लेकिन समंदर से चंद मीटर की दूरी पर मौजूद इस कुएं में मीठा पानी मिलता है। जी हां, प्यास बुझाने के लायक मीठा और ठंडा पानी। तो फिर देर क्यों, निकालिए एक बाल्टी पानी और बुझाइये प्यास । 




पॉन्डिचेरी में घूमते घूमते अगर आपकी गाड़ी किसी गांव की तरफ़ मुड़ जाए तो उत्तर और दक्षिण का अंतर यहां भी आपको नज़र आ जाएगा। हर घर के दरवाज़े प फूलों की क्यारी और केले के पेड़ । साफ़ सफ़ाई का तो ख़ैर कहना ही क्या।

 
लेखक का संपर्क - vijaysdhani@gmail.com




हाईवे से गुज़रते हुए कहीं फलों की दुकान दिख जाए तो हिचकिचाइएगा नहीं। रासायनिक खाद और कीटनाशकों से दूर, बिलकुल ऑर्गेनिक फल। ऐसी दुकानों पर नारियल पानी, नारियल, पपीते, केले और दूसरे कई फल आपको मिल सकते हैं।




अरबिन्दो आश्रम... वो जगह जिसकी ख़ातिर पॉन्डिचेरी देश ही नहीं पूरी दुनिया में मशहूर है। ये आश्रम है तो फ्रेंच कॉलोनी में ही लेकिन यहां आकर फ़ीलिंग बिलकुल बदल जाती है। अध्यात्म सिर पर सवार हो जाता है।



फूल की शक्ल वाला ये आलंकारिक चिन्ह अरबिंदो आश्रम का प्रतीक है। आश्रम के भीतर मोबाइल चालू हालत में लेकर जाना मना है। वहां स्वामी अरबिंदो घोष की समाधि है। स्वामी जी को प्रणाम कीजिए और पॉन्डिचेरी को कहिए अलविदा।

Comments ( 2 )

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    लेखक के आर्टिकल को पढ कर पांडिचेरी के टूर पर जाने का मन करने लगा । मेरी अगली ट्रिप वहीं की होगी ।

  • keshav

    वाकई काफी खूबसूरत जगह लगी। गो पुडिचेरी।

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